दोस्तो, मेरा नाम किरन है. मेरी उम्र 27 साल ... और फिगर की बात बात क्या करूं... एकदम आकर्षक जिस्म ... लेकि फिर भी मैं उतनी सजने संवरने पर ध्यान नहीं देती। मैं और मेरे पति, मेरे जेठ और उनकी पत्नी सीमा हम लोग सब साथ में ही रहते हैं। मेरे पति काम के सिलसिले में बहुत बार घर से बाहर ही रहते हैं लेकिन फोन पर हम घंटों बातें करते हैं. दिन का समय तो मैं अपनी जेठानी और उनके बच्चे के साथ बिता लेतीपर रात को जल्दी नींद नहीं आती. उसका क्या करूं?
मेरे पति काम के सिलसिले में बहुत बार घर से बाहर ही रहते हैं। कभी कभी तो मन करता है काश मेरे पति मुझे भी अपने साथ ले जाते क्योंकि रात को जेठ जी के रूम बहुत ही ज्यादा कामुक आवाजें आती हैं जो मुझे पागल कर देती हैं। एक बार की बात है जब मेरी कमर में दर्द हो रहा था तो मेरे जेठ का बड़ा बेटा अंश बोला- चाची जी, आपकी मालिश करने की जरूरत है. तो मैं बोली- तू कर देगा मेरी मालिश ? वो मान गया और उसने तेल से मालिश शुरू कर दी। इसके हाथ के स्पर्श से मैं गर्म हो गई और आह आह आह की आवाजें निकालने लगी. फिर मैं उसको बोली- थोड़ा नीचे मालिश कर! थोड़ा नीचे ... थोड़ा नीचे. ...' बोलकर मेरी कमर से नीचे तक उसका हाथ पहुंच ही चुका था. और उस दिन शायद मैं उसे अपनी चूत भी दिखा देती लेकिन मेरे जेठ की बीवी यानि अंश की मम्मी आ गई और मुझे खुद को रोकना पड़ा. एक दिन अचानक मेरे जेठ की पत्नी को मायके जाना पड़ा क्योंकि उसके मां की तबियत ठीक नहीं थी.
उन्होंने मुझे कहा- मैं तेरे जेठ को फोन पर बता दूंगी सब कुछ ! तू बस घर का ख्याल रखना और उनको खाना खिला देना रात में ! कहकर वो बस निकल गई। रात को मेरे जेठ जब घर पर आए तो मैं कुछ काम कर रही थी. उन्होंने मुझे नोटिस नहीं किया और सीधे बाथरूम में नहाने चले गए। कुछ देर के बाद जेठ जी ने आवाज लगाई - सीमा जरा तौलिया ले के आ! तब मैं समझ गई कि जेठ जी को शायद पता ही नहीं चला कि उनकी पत्नी सीमा मायके गई है. तो मैं खुद फटाफट उनका तौलिया लेकर पहुंच गई. और मैंने जैसे ही दरवाजा खटखटाया ... जेठजी ने अचानक मुझे अपनी बीवी समझकर हाथ अंदर खींचा और मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरे बूब्स दबाने लगे। ऊपर शावर से पानी गिर रहा था. मैं उनका हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर उन्होंने कस के अपनी ओर खींचा. तो मैं शावर के पानी से पूरी गीली हो गई. मुझे बहुत शर्म भी आ रही थी। उन्होंने मेरी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर करके अंदर उंगली डाल दी. मैं आह ... उम्म्ह ... आह ! उन्हे शर्म भी आ रही थी। उन्होंने मेरी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर करके अंदर उंगली डाल दी. मैं आह ... उम्म्ह... आह! उन्होने जैसे ही मेरी आवाज सुनी, तुरंत मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरा चेहरा देखा. मैं भागकर बाहर आ गई। बाहर आते ही मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा. मैंने तुरंत अपने कपड़े चेंज किए और मेज पर खाना रखकर अपने कमरे में चली गई जेठ जी नहा कर बाहर आए और डाइनिंग टेबल के पास सीमा सीमा चिल्लाने लगे. मुझे बहुत शर्म आ रही थी. फिर भी मैं उनके पास गई और मैंने झुकी हुई नजरों से बोला- दीदी पने मायके गई हुई हैं. आप बैठिए, मैं खाना लगा देती हूँ | मेरे जेठ जी बोले- ओह ... अच्छा उसने फोन किया था. लेकिन मैं काम में बिजी था इसलिए कॉल नहीं उठाया । जेठ जी कुर्सी में बैठ गए और मैंने खाना लगा दिया. मेरी नजर उठ ही नहीं रही थी उनके सामने!तभी जेठ जी ने पूछा- तुमने खाना खाया? मैं बोली- आप खा लीजिए, मैं बाद में खा लूंगी. जेठ जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले- सॉरी किरन, मैंने तुम्हें सीमा समझ लिया था. मैंने कहा- कोई बात नहीं जेठ जी, मैं समझ चुकी हूं कि वो सब बस गलती से हुआ।
तो वे बोले- अगर तुमने मुझे माफ कर दिया है तो साथ में बैठकर खाना खाओ मैंने कहा- ठीक है ! फिर हम दोनों ने साथ में बैठकर खाना खाया और बहुत सारी इधर उधर की बातें भी की। फिर मैं बर्तनों को समेटने लगी तो जेठ जी बोले- रहने दो, सुबह कर लेना यह सब ! अभी जा के सो जाओ। मैं बोली- सुबह भी तो मुझे ही करना है. तो अभी क्यों नहीं! बोलकर मैंने काम करना चालू कर दिया. तो जेठ जी भी मेरे साथ बर्तन करने लगे। मैं बोली- आप रहने दो, मैं कर लूंगी। कैसे रहने दूं? तुम इतना काम करती हो. मैं तुम्हारी हेल्प भी नहीं करूं?” वे बोले. फिर वे मेरे साथ बर्तन उठाकर किचन तक ले गए. तो मैं बोली आप यहाँ रख दो। मैं बर्तन धोने लगी तो वो भी साथ में लग गए.
मैंने कहा- आप रहने दीजिए ना! वो मेरी बात को सुन ही नहीं रहे थे, बोले- इसी बहाने तुमसे थोड़ी बात भी हो जायेगी । फिर सारा काम खत्म करके हम लोगों ने कुछ देर बातें की और फिर मैं बोली- अब चलें सोने रात ज्यादा हो रही है मेरा मन तो नहीं कर रहा था जाने का मेरा भी दिल कर रहा था कि आज जेठ जी के साथ ही सो जाऊं ! पर यह बात मैं कैसे बोलती? तो मैं अनमनी सी अपने कमरे की ओर जाने लगी. उन्होंने मुझे गुड नाईट कहा। सुबह जेठ जी उठे भी नहीं थे और मैं सारा काम खत्म करके नाश्ता बनाने लगी. तब तक जेठ जी बाहर आए और बोले- अरे, इतनी जल्दी यह सब करने की क्या जरूरत थी?मैंने बोला- आपको ऑफिस के लिए लेट ना हो जाए इसलिए ! जेठ जी ने कहा- आज ऑफिस नहीं है. मैं तुम्हें रात में ही बताने वाला था कि तुम्हें तो बस नींद आ रही थी। मैं बोली- कोई बात नहीं, आप नहा लीजिए, फिर नाश्ता लगाती हूँ। जेठ जी नहा कर आए और फिर हम दोनों ने साथ नाश्ता किया. फिर जेठ जी ने कहा- तुम बहुत दिन से बाहर नहीं गई हो और भाई भी नहीं है जो तुम्हें कहीं घुमाने ले जाएगा. हम कहीं घूमने चलें अगर तुम्हें मेरे साथ बाहर घूमने में दिक्कत नहीं है तो अच्छा मुझे तो दिक्कत नहीं. पर अगर दीदी को पता चला तो?" मैंने मुस्कुरा कर कहा।जेठ जी बोले- तुम क्यों टेंशन लेती हो? क्या मेरा इतना भी हक नहीं है तुम पे? इसके बाद जेठ जी मुझे बाहर घुमाने ले गए और पिक्चर भी दिखायी और फिर होटल में खाना भी खिलाया। फिर शॉपिंग भी कराई. शाम हो गई.
जेठ जी ने रात के खाने के लिए इधर से ही बहुत कुछ ले लिया. फिर रात को हम दोनों ने साथ में खाना खाया। आज मैं काफी घुल मिल गई जेठ जी से! मैंने लास्ट में बोला- आपने अपने छोटे भाई कीकमी आज पूरी कर दी. आप बहुत अच्छे हैं. वो बोले- वो कमी कैसे मैं पूरी कर सकता हूं? वो तो मेरे बस में नहीं है! मैं शर्मा गई और बोली- आप भी ना ! जेठ जी ने थोड़ी देर बाद बोले चलो रात हो गई बहुत ... मैं उठ कर अपने कमरे में जा ही रही थी कि जेठ जी ने हाथ पकड़ लिया। तब मैं नजरें झुका कर खड़ी रही और वो बोले- तुम चाहो तो आज सारी कमी पूरी कर देता हूं। मैं और भी ज्यादा पानी पानी हो गई. जेठ जी सब कुछ समझ गए और मेरा हाथ छोड़ दिया। मैं अब कन्फ्यूज थी कि अपने रूम में जाऊं या जेठ जी को बांहों में भर लूं. तो मैं धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी. जेठ जी पीछे से आए और पकड़ लिया मेरी कमर को! हाय कोई तो रोक लो !” मेरी गर्दन पर बालों को हटाते हुए जेठ जी ने एक किस किया. हाय मैं तो शर्म से मर जाऊंगी आज !” उन्होंने मेरी पीठ पर किस किया और फिर कमर पर! फिर हाथ आगे करके मेरे बूब्स को पीछे से पकड़ लिया." आह जेठ जी ... प्लीज छोड़ दीजिए ना!" जेठ जी ने ब्लाउज का हुक खोला और मेरे बूब्स को सहलाने लगे. आह... उह ... आह ! " फिर जेठ जी ने मुझे अपनी तरफ घुमाया, मेरे चेहरे को ऊपर किया और होंठों पर उंगली फिरते हुए गर्दन को पकड़ कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए. वे मेरे निचले होंठ को अपने मुंह से चूसने लगे. सच में आज पता चला कि कितने रोमांटिक है जेठ जी ! करीब 10 मिनट किसिंग के बाद वे मेरी गर्दन से अपने होंठों को ले जाते हुए मेरे दूध को चूसने लगे। जेठ जी दोनों हाथों से मेरे दोनों कंधों को पकड़ कर मेरे दूध को चूस रहे थे. और मैं तो जैसे अंदर से टूटती जा रही थी.मेरी अंदर से गीली हो गयी । आह आए उफ आह मेरे अंदर आग सी लग रही थी. जेठ जी ने मुझे पूरी नंगी किया और अपनी गोद में उठाकर ले जाने लगे. बेडरूम के अंदर सच में क्या सीन था वो ! उन्होंने मुझे बेड पर पटका और जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े उतार लिए. मैंने देखा मोटा काला सा लन्ड जेठ जी का जेठ जी ने मुझे कस के अपनी बांहों में जकड़ लिया और किस करने लगे. फिर मुझे बिठाया और अपना लन्ड मेरे सामने रख दिया। मैं सोच रही थी कि क्या / करूं इसका! मैं बस आंखे फाड़ कर देख रही थी. फिर मैंने उसे अपने हाथ में पकड़ा। जेठ जी ने बोला - डार्लिंग, इसे मुंह में लो! अभी तक तो मैंने अपने पति का भी मुंह में नहीं लिया था. मैं सोच ही रही थी कि जेठ जी ने मुंह को पकड़ कर अंदर डाल दिया। जेठ जी मेरे बालों को पकड़कर मुंह में अंदर बाहर करने लगे मेरे गले में गहराई तक जा रहा था और मेरे मुंह लार सी निकालने लगी. जेठ जी बोले- तुझे तो चूसना नहीं नहीं आता ! मैं चुप रही. जेठ जी ने मुझे लिटाया और मेरी दोनों टांगों को जहाँ तक हो सकता फैला दिया. हाय आगे का सीन सोचकर ही सिहरन होने लगी मेरे पूरे शरीर में! मैंने उत्तेजना से बेड को कस के पकड़ लिया. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। जेठ जी मेरी चाटते जा रहे थे और मैं मछली की तरह छटपट रही थी। उन्हें मुझ पर जरा भी दया नहीं आ रही थी. और वैसे भी... दूसरे की बीवी पर कौन दया करता है ! मुझसे रहा नहींगया. मैंने कहा. जल्दी डालो जेठ जी मुझसे अलग हो गए और अपने लन्ड को मेरे अंदर फ़च्छाक से डाल दिया. "ओह मां ! और लन्ड पूरा मेरे अंदर जहाँ तक घुस सकता घुसा दिया. मेरी तो बिल्कुल सांस रुक सी गई. अब जेठ जी कभी अंदर करते ... कभी बाहर ! इतनी जोर से धक्के मार रहे थे कि मेरी पूरी अंदर बेड में धंस जाती. और मैं हर धक्के में जोर से सिसकार उठती- ओह मां... उह मुझे कुछ बोलने की जरूरतही नहीं पड़ती, मेरी तो ऐसे ही हालात खराब थी। मैंने सिर्फ बोला- थोड़ा तेज प्लीज़! जेठ जी ने लन्ड को बाहर निकाल लिया. मैं सोचने लगी कि 'रे बाबा अब क्या हुआ?' लेकिन कुछ और होने वाला था ! जेठ जी ने मेरे दोनों पैर अपनी कमर पर फंसा कर रखे और लन्ड को घुसाया। फिर उन्होंने मुझे इस पोजीशन में अपने गोद में उठा लिया. और फिर लगे सेक्स करने लगे!
मुझे ऊपर की ओर उछाल उछाल कर ! मेरे दोनों बूब्स हवा में उछलने लगे। मैंने अपने दोनों हाथ उनके कंधे पर रखे हुए थे और उनका लन्ड मेरे अंदर की दीवारों पर रगड़ खाते हुए अंदर बाहर हो रहा था. आह... आह उसके काफी देर बाद उन्होंने मेरी अंदर अपना पानी बरसा दिया और मुझे दबोच कर बिस्तर पर लेट गए.कुछ ही देर में हम सो गए.
आपको हमारी यह कहानी कैसी लगी कॉमेंट करके बताए
0 Comments